रामानन्द और कबीर के इस रिश्ते का प्रमाण मात्र लोक प्रसिद्धि है।
2.
लोक प्रसिद्धि के अनुसार वे यादववंशी तथा वसुदेव के भाई कहे जाते हैं।
3.
गांव का नाम सालासर है, इसलिए ‘ सालासरवाले बालाजी ' के नाम से इनकी लोक प्रसिद्धि है।
4.
इसी प्रकार जब कोई व्यक्ति अपनी लोक प्रसिद्धि या किसी कामना की पूर्ति को ध्यान में रखकर दान देता है वह भी इसी कोटि के अन्तर्गत आता है।
5.
धीरोदात्त उज्जवल धवल चरित्र के स्वामी, मनसा बाचा-कर्मणा और सामूहिक नेत्र्त्वाकारी व्यक्तित्व के धनि व्यक्ति ही जनता जनार्दन का विश्वाश हासिल कर सकते हैं चापलूसों दुवारा लिखी पटकथाओं के संवाद बोलकर लोक प्रसिद्धि भले ही मिल जाये किन्तु धैर्य और बुद्धि चातुर्य की परीक्षा तो संघर्षों के दरम्यान बार-बार हुआ करती है तब मौन वृत से काम नहीं चलेगा और अनर्गल बाचालता तो नितांत वर्जनीय है.